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THINGS YOU CAN’T BUY IN STORES |
एक बार ज़रा सोचिये कि आपके अगल-बगल बहुत पैसा पड़ा है। हर तरफ सिर्फ पैसा ही पैसा है, आप चाहे झोला उठाये या अलमारी, बैडरूम में देखे या बॉक्स में हर तरफ पैसा ही पैसा पड़ा है। क्या हुआ नहीं सोच पा रहे हैं? अरे भाई कोशिश तो करिये,अब आप ये सोचकर मत घबराइए की मैं इनकम टैक्स वालों को बुला दूंगा या फिर आपको को लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन के बारे में कुछ लंबी बात बताऊंगा। बस आप सोचिए की आपके पास बहुत ढेर सारा पैसा आ गया है जो हर जगह ऐसा ही बिखरा पड़ा है। अब ऐसे समय में आप इतने पैसों का क्या करेंगे? शायद सवाल बहुत ही आसान लगेगा आपको क्योकि पैसे खर्च करने के लिए हम सब लोगों के पास बहुत से सपने पहले से ही होते है। किसी के सपनों की कार ‘ऑडी’ होगी, तो किसी को ‘विला’ जैसे घर में रहने की चाहत होगी। कोई ‘एप्पल’ फ़ोन लेने का सोचेगा तो कोई अच्छी-अच्छी ‘ड्रेस’ के लिए पागल हो रहा होगा। लाइफ बिलकुल सेट सी लगने लगेगी पर यकीन मानिये यही शुरुआत है हमारे लाइफ में दरार बनाने के लिए। हम खुश होते हैं,अलग अनुभूति होती है, नज़रिया बदलने लगता है पर सच तो ये है की हमारी मानसिकता बदल जाती है, हमारी मानसिकता बिलकुल उस गुफा की तरह हो जाती है, जैसा आपने कहानियो में पढ़ा होगा अर्थात एक मायावी गुफा की तरह जिसका दरवाज़ा सिर्फ ‘खुल जा सिम सिम’ कहने पर ही खुलता था। कहानी में आपने सुना होगा की एक बार कुछ लुटेरे उस गुफा को खोलने की बहुत कोशिश करते हैं पर उन सबको सिर्फ नाकामी ही हाथ लगती है, वो दिन-रात उस गुफे के सामने बस इसलिए गुजार देते हैं ताकि उनको दरवाज़ा खोलने का तरीका पता चल जाए। आखिरकार एक दिन किसी तरह गुफा का दरवाज़ा खुल जाता है और वो सारे लूटेरे उस गुफे में घुस जाते हैं। जब अंदर जाकर सब देखते हैं तो उनकी आँखे खुली की खुली रह जाती हैं क्योकि वहां पर बहुत ढेर सारी स्वर्ण मुद्राएं रखी रहती हैन। सब ख़ुशी से झूमने लगते हैं, खुशिया मनाते हैं, अलग अनुभूति करने लगते हैं, सबका नजरिया बदल जाता है। कुछ ख़्वाब लेते हैं की उनको उन स्वर्ण मुद्राओ को कहाँ खर्च करना है।
जब सबने स्वर्ण मुद्राएं बॉट ली तभी एक लुटेरे को ध्यान गुफा के दरवाज़े की तरफ गया, उसने देखा कि गुफा का दरवाज़ा तो बंद ही है। उसने बाकी सभी लोगों को दरवाज़े की तरफ दिखाया और बताया की दरवाज़ा आने के बाद ही बंद हुआ और अभी भी बंद ही है। सब मिलकर सोचने लगे की आखिरकार दरवाज़ा खोलने के लिए वो 3 ‘शब्द’ क्या थे? सबने कोशिश की पर दरवाज़ा नहीं खुला। पत्थर लेकर दरवाज़ा तोड़ने की भी कोशिश कि पर कोई भी सफल नही हुआ, धीरे-धीरे ही सही पर समय बदल चूका था। मुद्राओं के चक्कर में सबने वो 3 शब्द भुला दिए जिसके कारण सबको ये दिक्कत हो रही थी। एक और बार कोशिश हुई पर सिर्फ निराशा ही हाथ लगी, अतः मायुस होकर सब अंदर ही बैठे रहे। धीरे-धीरे सबका हौसला टूटने लगा, इस दुःख घडी में उनके पास कोई नही था। सभी लोग परिवार से दूर हो गए थे, समाज से भी साथ छूट गया था। हो चुकी थी, लाख मेहनत के बाद भी दरवाज़ा नही खुल पाया और सदा के लिए बंद हो गया। शायद वो 3 ‘शब्द ‘ ही उन सब चीज़ों की बुनियाद थी, जो उन सबने खो दी थी।
यकीनन हम सब भी ऐसी ही गुफा के दरवाज़े की तरह ही हो गए हैं। आज के समय में पैसा आने के बाद सब कुछ भूल जाते है। लगता है कि प्यार, रिश्ते, दोस्ती, आदर, संस्कार हम पैसे से खरीद लेंगे। पर हम भी भूल जाते हैं की जिस गुफा में हम घुस गए हैं उसका दरवाज़ा ‘पैसों’ से नही बल्कि के उन 3 शब्दों से खुलेगा जो की ‘प्यार, रिश्ते और संस्कार’ है। यक़ीनन इसी के बदौलत ही ज़िन्दगी के बाकि मुकाम भी हम पा जायेंगे।
यतीन्द्र पांडेय
www.twitter.com/Himmat_Hai
www.facebook.com/pandey.yatindra
Email ID- Pandeyatin1992@gmail.com
यकीनन हम सब भी ऐसी ही गुफा के दरवाज़े की तरह ही हो गए हैं। आज के समय में पैसा आने के बाद सब कुछ भूल जाते है। लगता है कि प्यार, रिश्ते, दोस्ती, आदर, संस्कार हम पैसे से खरीद लेंगे। पर हम भी भूल जाते हैं की जिस गुफा में हम घुस गए हैं उसका दरवाज़ा ‘पैसों’ से नही बल्कि के उन 3 शब्दों से खुलेगा जो की ‘प्यार, रिश्ते और संस्कार’ है। यक़ीनन इसी के बदौलत ही ज़िन्दगी के बाकि मुकाम भी हम पा जायेंगे।
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